प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Thursday, November 28, 2019

प्रथम रश्मि का आना रंगिणि! - pratham rashmi ka aana rangini! - - सुमित्रानंदन पंत - Sumitra Nandan Pant

November 28, 2019 0 Comments
प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!
तूने कैसे पहचाना?
कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि!
पाया तूने वह गाना?
सोयी थी तू स्वप्न नीड़ में,
पंखों के सुख में छिपकर,
ऊँघ रहे थे, घूम द्वार पर,
प्रहरी-से जुगनू नाना।

शशि-किरणों से उतर-उतरकर,
भू पर कामरूप नभ-चर,
चूम नवल कलियों का मृदु-मुख,
सिखा रहे थे मुसकाना।

स्नेह-हीन तारों के दीपक,
श्वास-शून्य थे तरु के पात,
विचर रहे थे स्वप्न अवनि में
तम ने था मंडप ताना।
कूक उठी सहसा तरु-वासिनि!
गा तू स्वागत का गाना,
किसने तुझको अंतर्यामिनि!
बतलाया उसका आना!

- सुमित्रानंदन पंत - Sumitra Nandan Pant

Tuesday, November 26, 2019

तुम्हारे नाम जैसी, छलकते जाम जैसी - tumhaare naam jaisee, chhalakate jaam jaisee - Osho- ओशो

November 26, 2019 0 Comments
तुम्हारे नाम जैसी, छलकते जाम जैसी 

मुहब्बत सी नशीली शरद की चाँदनी है।

ह्रदय को मोहती है, प्रणय संगीत जैसी
नयन को सोहती है, सपन के मीत जैसी,

तुम्हारे रूप जैसी, वसंती धूप जैसी
मधुस्मृति सी रसीली शरद की चाँदनी है।
चाँदनी खिल रही है तुम्हारे हास जैसी,
उमंगें भर रही है मिलन की आस जैसी,

प्रणय की बाँह जैसी, अलक की छाँह जैसी
प्रिये, तुम सी लजीली शरद की चाँदनी‍ है।

हुई है क्या ना जाने अनोखी बात जैसी
भरे पुलकन बदन में प्रथम मधु रात जैस‍ी,

हँसी दिल खोल पुनम, गया अब हार संयम
वचन से भी हठीली शरद की चाँदनी है।

तुम्हारे नाम जैसी, छलकते जाम जैसी
मुहब्बत सी नशीली, शरद की चाँदनी है।

- Osho-ओशो

Monday, November 18, 2019

मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं - main laakh kah doon ki aakaash hoon zameen hoon main - राहत इंदौरी - Rahat Indori

November 18, 2019 0 Comments
मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं 
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूं मैं 

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को 
वहां पे ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं
मायूस...
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था 
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूं मैं 

वो ज़र्रे ज़र्रे में मौजूद है मगर मैं भी 
कहीं कहीं हूं कहां हूं कहीं नहीं हूं मैं 

किताब...
वो इक किताब जो मंसूब तेरे नाम से है 
उसी किताब के अंदर कहीं कहीं हूं मैं 

सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ 
ये मेरा हुक्म है हालांकि कुछ नहीं हूं मैं 

तलाश...
यहीं हुसैन भी गुज़रे यहीं यज़ीद भी था 
हज़ार रंग में डूबी हुई ज़मीं हूं मैं 

ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएंगी 
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूं मैं 

- राहत इंदौरी - Rahat Indori


Wednesday, November 13, 2019

देर लगी आने में तुमको - der lagee aane mein tumako - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
देर लगी आने में तुमको
शुक्र है फिर भी आए तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा
वैसे हम घबराए तो

तुम जो न आते हम तो मर जाते
क्या हम अकेले ज़िंदा रहते
तुमसे कहें क्या जो बीती दिल पे
दर्द-ए-जुदाई सहते सहते
आज हमारे प्यासे दिल पे
बनके बादल तुम छाए तो
देर लगी आने में तुमको ...

बेताब दिल था बेचैन आँखें
खुद से खफ़ा हम रहने लगे थे
हालत हमारी वो हो गई थी
पागल हमें लोग कहने लगे थे
अब इक पल भी बिछड़ें न हम तुम
वक़्त अगर रुक जाए तो
देर लगी आने में तुमको ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

देख सकते नहीं तुमको जी भर के हम - dekh sakate nahin tumako jee bhar ke ham - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
देख सकते नहीं तुमको जी भर के हम
दिल में किसके ग़ुमां क्या गुज़र जाएगा
तुमको अपना कहें तो कहें किस तरह
सारी महफ़िल का चेहरा उतर जाएगा
देख सकते नहीं ...

तुम भी बेताब हो हम भी बेचैन हैं
दिल में मिलने की हसरत मचलने लगी
सब्र का अब तो दामन सुलगने लगा
प्यार की आग सीने में जलने लगी
तुमको मिलने न पाए अगर आज हम
लगता है दिल ही ठहर जाएगा
देख सकते नहीं ...

हो किसी देश में या किसी भेष में
शक्लें अपनों की पहचान लेता है दिल
तुम कहो न कहो हम कहें ना कहें
बात दिल की तो खुद जान लेता है दिल
सामने बस युँही मुस्कराते रहो
ज़िन्दगी का मुक़द्दर सँवर जाएगा
देख सकते नहीं ...

जानकर की गई हो या अनजाने में
दुनियावाले खता माफ करते नहीं
दुनियावालों का ये ज़ुलम तो देखिए
देके भी जो सज़ा माफ करते नहीं
जिँदगी बन गई कैद इंसान की
कोई इलज़ाम लेकर किधर जाएगा
देख सकते नहीं ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

दर्पण को देखा तूने - darpan ko dekha toone - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
दर्पण को देखा तूने
जब जब किया श्रृंगार
फूलों को देखा तूने
जब जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मैं
मुझे नहीं देखा एक बार

सूरज की पहली किरनों को
देखा तूने अलसाते हुए
रातों में तारों को देखा
सपनों में खो जाते हुए
यूँ किसी न किसी बहाने
तूने देखा सब संसार

काजल की क़िस्मत क्या कहिये
नैनों में तूने बसाया है
आँचल की क़िस्मत क्या कहिये
तूने अंग लगाया है
हसरत ही रही मेरे दिल में
बनूँ तेरे गले का हार

- इंदीवर - Mr. indeevar

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए - chhod de saaree duniya kisee ke lie - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
दूसरा तुम जहां क्यूँ बसाते नहीं
दिल ना चाहे भी तो साथ संसार के
चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए

- इंदीवर - Mr. indeevar

दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है - dushman na kare dost ne vo kaam kiya hai - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है
उम्र भर का ग़म हमें ईनाम दिया है

तूफ़ां में हमको छोड़ के साहिल पे आ गये
नाख़ुदा का हमने जिन्हें नाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...

पहले तो होश छीन लिये ज़ुल्म-ओ-सितम से
दीवानगी का फिर हमें इल्ज़ाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...

अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ
ग़ैरों ने आ के फिर भी उसे थाम लिया है
उम्र भर का ग़म ...

बन के रक़ीब बैठे हैं वो जो हबीब थे
यारों ने ख़ूब फ़र्ज़ को अंजाम दिया है
उम्र भर का ग़म ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

हम छोड़ चले हैं महफ़िल को - ham chhod chale hain mahafil ko - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को
याद आए कभी तो मत रोना
इस दिल को तसल्ली दे देना
घबराए कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

एक ख़्वाब सा देखा था हमने
जब आँख खुली वो टूट गया
ये प्यार अगर सपना बनकर
तड़पाये कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

तुम मेरे ख़यालों में खोकर
बरबाद न करना जीवन को
जब कोई सहेली बात तुम्हें
समझाये कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

जीवन के सफ़र में तनहाई
मुझको तो न ज़िन्दा छोड़ेगी
मरने की खबर ऐ जान-ए-जिगर
मिल जाए कभी तो मत रोना
हम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

जो तुमको हो पसंद, वही बात करेंगे - jo tumako ho pasand, vahee baat karenge - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
जो तुमको हो पसंद, वही बात करेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कगेंगे
जो तुमको ...

चाहेंगे, निभाएंगे, सराहेंगे आप ही को
आँखों में दम है जब तक, देखेंगे आप ही को
अपनी ज़ुबान से आपके जज़्बात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे
जो तुमको हो पसंद ...

देते न आप साथ तो मर जाते हम कभी के
पूरे हुए हैं आप से, अरमान ज़िंदगी के
हम ज़िंदगी को आपकी सौगात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे
जो तुमको हो पसंद ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने - jab zeero diya mere bhaarat ne - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आई
तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलाई

देता ना दशमलव भारत तो
यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का
अंदाज़ लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आई
पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले-फले

है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया
मैं बात वही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

जीते हो किसीने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कहके बुलाते है
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जातें है
उस धरती पे मैंने जन्म लिया
ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

- इंदीवर - Mr. indeevar

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे - koee jab tumhaara hrday tod de, tadapata hua jab koee chhod de - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...

अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम, कंवल जितने चाहोगी खिल जाएंगे
दर्पण तुम्हें जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...

कोई शर्त होती नहीं प्यार में, मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया
नज़र में सितारे जो चमके ज़रा, बुझाने लगीं आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो, अंधेरों में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये, ये दीपक जला है जला ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो - prabhu jee mere avagun chit na dharo - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो
समदरसी है नाम तुम्हारो, नाम की लाज करो
प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो..

एक नदी एक नाला कहाय, मैल हो नीर भरो
गंगा में मिल कर दोनों, गंगा नाम परो
प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो..

काँटे और कलियाँ दोनों से, मधुबन रहे भरो
माली एक समान ही सीँचे, कर दे सबको हरो
प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो..

- इंदीवर - Mr. indeevar

मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें - mujhe nahin poochhanee tumase beetee baaten - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
मुझे नहीं पूछनी तुमसे बीती बातें
कैसे भी गुज़ारी हों तुमने अपनी रातें
जैसी भी हो बस आज से तुम मेरी हो
मेरी ही बनके रहना, मुझे तुमसे है इतना कहना
मुझे नहीं पूछनी ...

बीते हुए कल पे तुम्हारे अधिकार नहीं है मेरा
उस द्वार पे मैं क्यों जाऊँ जो द्वार नहीं है मेरा
बीता हुआ कल तो बीत चुका, कल का दुख आज ना सहना
मुझे नहीं पूछनी ...

मैं राम नहीं हूँ फिर क्यूं उम्मीद करूँ सीता की
कोई इन्सानों में ढूँढे क्यों पावनता गंगा की
दुनिया में फ़रिश्ता कोई नहीं, इन्सान ही बनके रहना
मुझे नहीं पूछनी ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

फूल तुम्हें भेजा है ख़त में, फूल नहीं मेरा दिल है - phool tumhen bheja hai khat mein, phool nahin mera dil hai - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में, फूल नहीं मेरा दिल है
प्रीयतम मेरे तुम भी लिखना, क्या ये तुम्हारे क़ाबिल है
प्यार छिपा है ख़त में इतना, जितने सागर में मोती
चूम ही लेता हाथ तुम्हारा, पास जो मेरे तुम होती
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में ...

नींद तुम्हें तो आती होगी, क्या देखा तुमने सपना
आँख खुली तो तन्हाई थी, सपना हो न सका अपना
तन्हाई हम दूर करेंगे, ले आओ तुम शहनाई
प्रीत लगा के भूल न जाना, प्रीत तुम्हीं ने सिखलाई
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में ...

ख़त से जी भरता ही नहीं, अब नैन मिले तो चैन मिले
चाँद हमारी अंगना उतरे, कोई तो ऐसी रैन मिले
मिलना हो तो कैसे मिलें हम, मिलने की सूरत लिख दो
नैन बिछाये बैठे हैं हम, कब आओगे ख़त लिख दो
फूल तुम्हें भेजा है ख़त में ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते -vaqt karata jo vafa aap hamaare hote - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते
हम भी ग़ैरों की तरह आप को प्यारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

अपनी तक़दीर में पहले ही कूछ तो ग़म हैं
और कुछ आप की फ़ितरत में वफ़ा भी कम है
वरन जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

हम भी प्यासे हैं ये साक़ी को बता भी न सके
सामने जाम था और जाम उठा भी न सके
काश ग़ैरते-महफ़िल के न मारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

दम घुटा जाता है सीने में फिर भी ज़िंदा हैं
तुम से क्या हम तो ज़िंदगी से भी शर्मिन्दा हैं
मर ही जाते जो न यादों के सहारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

चंदन सा बदन चंचल चितवन - chandan sa badan chanchal chitavan - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
चंदन सा बदन चंचल चितवन
धीरे से तेरा ये मुस्काना
मुझे दोष न देना जग वालों - (२)
हो जाऊँ अगर मैं दीवाना
चंदन सा ...

ये काम कमान भँवे तेरी
पलकों के किनारे कजरारे
माथे पर सिंदूरी सूरज
होंठों पे दहकते अंगारे
साया भी जो तेरा पड़ जाए - (२)
आबाद हो दिल का वीराना
चंदन सा ...

तन भी सुंदर मन भी सुंदर
तू सुंदरता की मूरत है
किसी और को शायद कम होगी
मुझे तेरी बहुत ज़रूरत है
पहले भी बहुत मैं तरसा हूँ - (२)
तू और न मुझको तरसाना
चंदन सा ...

- इंदीवर - Mr. indeevar

न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधन - na umar kee seema ho, na janam ka ho bandhan - - इंदीवर - Mr. indeevar

November 13, 2019 0 Comments
होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो

न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधन
जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...

जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...

आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी, संगीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...
- इंदीवर - Mr. indeevar

Sunday, November 10, 2019

ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर - ye tera ghar ye mera ghar, kisee ko dekhana ho gar - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर
तो पहले आके माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र
ये घर बहुत हसीन है

न बादलों की छाँव में, न चाँदनी के गाँव में
न फूल जैसे रास्ते, बने हैं इसके वास्ते
मगर ये घर अजीब है, ज़मीन के क़रीब है
ये ईँट पत्थरों का घर, हमारी हसरतों का घर

जो चाँदनी नहीं तो क्या, ये रोशनी है प्यार की
दिलों के फूल खिल गये, तो फ़िक्र क्या बहार की
हमारे घर ना आयेगी, कभी ख़ुशी उधार की
हमारी राहतों का घर, हमारी चाहतों का घर

यहाँ महक वफ़ाओं की है, क़हक़हों के रंग है
ये घर तुम्हारा ख़्वाब है, ये घर मेरी उमंग है
न आरज़ू पे क़ैद है, न हौसले पर जंग है
हमारे हौसले का घर, हमारी हिम्मतों का घर

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

ये बता दे मुझे ज़िन्दगी - ye bata de mujhe zindagee - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
प्यार की राह के हमसफ़र
किस तरह बन गये अजनबी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
फूल क्यूँ सारे मुरझा गये
किस लिये बुझ गई चाँदनी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

कल जो बाहों में थी
और निगाहों में थी
अब वो गर्मी कहाँ खो गई
न वो अंदाज़ है
न वो आवाज़ है
अब वो नर्मी कहाँ खो गई
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

बेवफ़ा तुम नहीं
बेवफ़ा हम नहीं
फिर वो जज़्बात क्यों सो गये
प्यार तुम को भी है
प्यार हम को भी है
फ़ासले फिर ये क्या हो गये
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए - kyoon zindagee kee raah mein majaboor ho gae - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए
इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए

ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गए

पाया तुम्हें तो हमको लगा तुमको खो दिया
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया
पलकों से ख़्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

तुमको देखा तो ये ख़याल आया - tumako dekha to ye khayaal aaya - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
तुमको देखा तो ये ख़याल आया
ज़िन्दगी धूप तुम घना साया

आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया, हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया


- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी - pyaar mujhase jo kiya tumane to kya paogee - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
मेरे हालात की आंधी में बिखर जाओगी

रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ
ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िन्दा हूँ
ख़्वाब क्यूँ देखूँ वो कल जिसपे मैं शर्मिन्दा हूँ
मैं जो शर्मिन्दा हुआ तुम भी तो शरमाओगी

क्यूं मेरे साथ कोई और परेशान रहे
मेरी दुनिया है जो वीरान तो वीरान रहे
ज़िन्दगी का ये सफ़र तुमको तो आसान रहे
हमसफ़र मुझको बनाओगी तो पछताओगी

एक मैं क्या अभी आयेंगे दीवाने कितने
अभी गूंजेगे मुहब्बत के तराने कितने
ज़िन्दगी तुमको सुनायेगी फ़साने कितने
क्यूं समझती हो मुझे भूल नही पाओगी

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

सो गया, ये जहाँ, सो गया आसमां - so gaya, ye jahaan, so gaya aasamaan - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
सो गया, ये जहाँ, सो गया आसमां
सो गयीं हैं सारी मंज़िलें ,सो गया है रस्ता

रात आई तो वो जिनके घर थे, वो घर को गये, सो गये
रात आई तो हम जैसे आवारा फिर निकले, राहों में और खो गये
इस गली, उस गली, इस नगर, उस नगर
जाएँ भी तो कहाँ, जाना चाहें अगर
सो गयीं हैं सारी मंज़िलें, सो गया है रस्ता

कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनी कहो
हो पास तो ऐसे चुप न रहो
हम पास भी हैं, और दूर भी हैं
आज़ाद भी हैं, मजबूर भी हैं
क्यों प्यार का मौसम बीत गया
क्यों हम से ज़माना जीत गया
हर घड़ी मेरा दिल गम के घेरे में है
जिंदगी दूर तक अब अंधेरे में है
सो गयीं हैं सारी मंज़िलें सो गया है रस्ता

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

ये आए दिन के हंगामे - ye aae din ke hangaame -- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
ये आए दिन के हंगामे
ये जब देखो सफ़र करना
यहाँ जाना वहाँ जाना
इसे मिलना उसे मिलना
हमारे सारे लम्हे
ऐसे लगते हैं
कि जैसे ट्रेन के चलने से पहले
रेलवे-स्टेशन पर
जल्दी जल्दी अपने डब्बे ढूँडते
कोई मुसाफ़िर हों
जिन्हें कब साँस भी लेने की मोहलत है
कभी लगता है
तुम को मुझ से मुझ को तुम से मिलने का
ख़याल आए
कहाँ इतनी भी फ़ुर्सत है
मगर जब संग-दिल दुनिया मेरा दिल तोड़ती है तो
कोई उम्मीद चलते चलते
जब मुँह मोड़ती है तो
कभी कोई ख़ुशी का फूल
जब इस दिल में खिलता है
कभी जब मुझ को अपने ज़ेहन से
कोई ख़याल इनआम मिलता है
कभी जब इक तमन्ना पूरी होने से
ये दिल ख़ाली सा होता है
कभी जब दर्द आ के पलकों पे मोती पिरोता है
तो ये एहसास होता है
ख़ुशी हो ग़म हो हैरत हो
कोई जज़्बा हो
इस में जब कहीं इक मोड़ आए तो
वहाँ पल भर को
सारी दुनिया पीछे छूट जाती है
वहाँ पल भर को
इस कठ-पुतली जैसी ज़िंदगी की
डोरी टूट जाती है
मुझे उस मोड़ पर
बस इक तुम्हारी ही ज़रूरत है
मगर ये ज़िंदगी की ख़ूबसूरत इक हक़ीक़त है
कि मेरी राह में जब ऐसा कोई मोड़ आया है
तो हर उस मोड़ पर मैं ने
तुम्हें हम-राह पाया है

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

ये वक़्त क्या है - ye vaqt kya hai - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
ये वक़्त क्या है?
ये क्या है आख़िर
कि जो मुसलसल[1] गुज़र रहा है
ये जब न गुज़रा था, तब कहाँ था
कहीं तो होगा
गुज़र गया है तो अब कहाँ है
कहीं तो होगा
कहाँ से आया किधर गया है
ये कब से कब तक का सिलसिला है
ये वक़्त क्या है

ये वाक़ये [2]
हादसे [3]
तसादुम[4]
हर एक ग़म और हर इक मसर्रत[5]
हर इक अज़ीयत[6] हरेक लज़्ज़त[7]
हर इक तबस्सुम[8] हर एक आँसू
हरेक नग़मा हरेक ख़ुशबू
वो ज़ख़्म का दर्द हो
कि वो लम्स[9] का हो ज़ादू
ख़ुद अपनी आवाज हो
कि माहौल की सदाएँ[10]
ये ज़हन में बनती
और बिगड़ती हुई फ़िज़ाएँ[11]
वो फ़िक्र में आए ज़लज़ले [12] हों
कि दिल की हलचल
तमाम एहसास सारे जज़्बे
ये जैसे पत्ते हैं
बहते पानी की सतह पर जैसे तैरते हैं
अभी यहाँ हैं अभी वहाँ है
और अब हैं ओझल
दिखाई देता नहीं है लेकिन
ये कुछ तो है जो बह रहा है
ये कैसा दरिया है
किन पहाड़ों से आ रहा है
ये किस समन्दर को जा रहा है
ये वक़्त क्या है

कभी-कभी मैं ये सोचता हूँ
कि चलती गाड़ी से पेड़ देखो
तो ऐसा लगता है दूसरी सम्त[13]जा रहे हैं
मगर हक़ीक़त में पेड़ अपनी जगह खड़े हैं
तो क्या ये मुमकिन है
सारी सदियाँ क़तार अंदर क़तार[14]
अपनी जगह खड़ी हों
ये वक़्त साकित[15] हो और हम हीं गुज़र रहे हों
इस एक लम्हें में सारे लम्हें
तमाम सदियाँ छुपी हुई हों
न कोई आइन्दा [16] न गुज़िश्ता [17]
जो हो चुका है वो हो रहा है
जो होने वाला है हो रहा है
मैं सोचता हूँ कि क्या ये मुमकिन है
सच ये हो कि सफ़र में हम हैं
गुज़रते हम हैं
जिसे समझते हैं हम गुज़रता है
वो थमा है
गुज़रता है या थमा हुआ है
इकाई है या बंटा हुआ है
है मुंज़मिद[18] या पिघल रहा है
किसे ख़बर है किसे पता है
ये वक़्त क्या है

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

इक पल गमों का दरिया, इक पल खुशी का दरिया - ik pal gamon ka dariya, ik pal khushee ka dariya - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
इक पल गमों का दरिया, इक पल खुशी का दरिया
रूकता नहीं कभी भी, ये ज़िन्‍दगी का दरिया

आँखें थीं वो किसी की, या ख़्वाब की ज़ंजीरे
आवाज़ थी किसी की, या रागिनी का दरिया

इस दिल की वादियों में, अब खाक उड़ रही है
बहता यहीं था पहले, इक आशिकी का दरिया

किरनों में हैं ये लहरें, या लहरों में हैं किरनें
दरिया की चाँदनी है, या चाँदनी का दरिया

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

आँख खुल मेरी गई हो गया मैं फिर ज़िन्दा - aankh khul meree gaee ho gaya main phir zinda -- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
आँख खुल मेरी गई हो गया मैं फिर ज़िन्दा
पेट के अन्धेरो से ज़हन के धुन्धलको तक
एक साँप के जैसा रेंगता खयाल आया
आज तीसरा दिन है
आज तीसरा दिन है

एक अजीब खामोशी से भरा हुआ कमरा कैसा खाली-खाली है
मेज़ जगह पर रखी है कुर्सी जगह पर रखी है फर्श जगह पर रखी है
अपनी जगह पर ये छत अपनी जगह दीवारे
मुझसे बेताल्लुक सब, सब मेरे तमाशाई है
सामने की खिड़्की से तीज़ धूप की किरने आ रही है बिस्तर पर
चुभ रही है चेहरे में इस कदर नुकीली है
जैसे रिश्तेदारो के तंज़ मेरी गुर्बत पर
आँख खुल गई मेरी आज खोखला हूँ मै
सिर्फ खोल बाकी है
आज मेरे बिस्तर पर लेटा है मेरा ढाँचा
अपनी मुर्दा आँखो से देखता है कमरे को एक सर्द सन्नाटा
आज तीसरा दिन है
आज तीसरा दिन है

दोपहर की गर्मी में बेरादा कदमों से एक सड़क पर चलता हूँ
तंग सी सड़क पर है दौनो सिम पर दुकाने
खाली-खाली आँखो से हर दुकान का तख्ता
सिर्फ देख सकता हूँ अब पढ़ नहीं जाता
लोग आते-जाते है पास से गुज़रते है
सब है जैसे बेचेहरा
दूर की सदाए है आ रही है दूर

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

प्‍यास की कैसे लाए ताब कोई - p‍yaas kee kaise lae taab koee - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
प्‍यास की कैसे लाए ताब[1] कोई
नहीं दरिया तो हो सराब[2] कोई

रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत शराब कोई

कौन सा ज़ख्‍म किसने बख्‍शा है
उसका रखे कहाँ हिसाब कोई

फिर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की
आने वाला है फिर अज़ाब[3] कोई

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

क्‍यों डरें ज़िन्‍दगी में क्‍या होगा - k‍yon daren zin‍dagee mein k‍ya hoga - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
क्‍यों डरें ज़िन्‍दगी में क्‍या होगा
कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा

हँसती आँखों में झाँक कर देखो
कोई आँसू कहीं छुपा होगा

इन दिनों ना-उम्‍मीद सा हूँ मैं
शायद उसने भी ये सुना होगा

देखकर तुमको सोचता हूँ मैं
क्‍या किसी ने तुम्‍हें छुआ होगा

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

आज मैंने अपना फिर सौदा किया - aaj mainne apana phir sauda kiya - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया

ज़िन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके मैं उन्‍हें बेचा किया

कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्‍या कहते कि तुमने क्‍या किया

हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी
खैर तुमने जो किया अच्‍छा किया

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना - ab agar aao to jaane ke lie mat aana - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं
ये हसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना

प्‍यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्‍म निभाने के लिए मत आना

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

आप भी आइए हमको भी बुलाते रहिए - aap bhee aaie hamako bhee bulaate rahie - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
आप भी आइए हमको भी बुलाते रहिए
दोस्‍ती ज़ुर्म नहीं दोस्‍त बनाते रहिए।

ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्‍म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।

वक्‍त ने लूट लीं लोगों की तमन्‍नाएँ भी,
ख़्वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।

शक्‍ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई,
कभी बन जाएगी तसवीर बनाते रहिए।

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

तमन्‍ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ - taman‍na phir machal jae, agar tum milane aa jao - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
तमन्‍ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे गम है कि मैने जिन्‍दगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्‍से, काम की बातें
बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

यही हालात इब्तदा से रहे - yahee haalaat ibtada se rahe - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
यही हालात इब्तदा[1] से रहे
लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे

बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन
ये भी सच है कि बेवफ़ा-से रहे

इन चिराग़ों में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे

बहस, शतरंज, शेर, मौसीक़ी[2]
तुम नहीं रहे तो ये दिलासे रहे

उसके बंदों को देखकर कहिये
हमको उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे

ज़िन्दगी की शराब माँगते हो
हमको देखो कि पी के प्यासे रहे


- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

मिसाल इसकी कहाँ है ज़माने में - misaal isakee kahaan hai zamaane mein - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
मिसाल इसकी कहाँ है ज़माने में
कि सारे खोने के ग़म पाये हमने पाने में

वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गई जैसे
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में

जो मुंतज़िर[1] न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा
कि हमने देर लगा दी पलट के आने में

लतीफ़[2] था वो तख़य्युल[3] से, ख़्वाब से नाज़ुक
गँवा दिया उसे हमने ही आज़माने में

समझ लिया था कभी एक सराब[4] को दरिया
पर एक सुकून था हमको फ़रेब खाने में

झुका दरख़्त हवा से, तो आँधियों ने कहा
ज़ियादा फ़र्क़ नहीं झुक के टूट जाने में


- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

मैनें दिल से कहा - mainen dil se kaha - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
मैनें दिल से कहा
ऐ दीवाने बता
जब से कोई मिला
तू है खोया हुआ
ये कहानी है क्या
है ये क्या सिलसिला
ऐ दीवाने बता

मैनें दिल से कहा
ऐ दीवाने बता
धड़कनों में छुपी
कैसी आवाज़ है
कैसा ये गीत है
कैसा ये साज़ है
कैसी ये बात है
कैसा ये राज़ है
ऐ दीवाने बता

मेरे दिल ने कहा
जब से कोई मिला
चाँद तारे फ़िज़ा
फूल भौंरे हवा
ये हसीं वादियाँ
नीला ये आसमाँ
सब है जैसे नया
मेरे दिल ने कहा

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

कभी यूँ भी तो हो - kabhee yoon bhee to ho - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो
पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
परियों की महफ़िल हो
कोई तुम्हारी बात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें
जब घर से तुम्हारे गुज़रें
तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें
मेरे घर ले आयें

कभी यूँ भी तो हो
सूनी हर मंज़िल हो
कोई न मेरे साथ हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
ये बादल ऐसा टूट के बरसे
मेरे दिल की तरह मिलने को
तुम्हारा दिल भी तरसे
तुम निकलो घर से

कभी यूँ भी तो हो
तनहाई हो, दिल हो
बूँदें हो, बरसात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया - jaate jaate vo mujhe achchhee nishaanee de gaya - - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया

उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया

सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया

ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है - har khushee mein koee kamee-see hai- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हँसती आँखों में भी नमी-सी है

दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नब्ज़ भी थमी-सी है

किसको समझायें किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है

ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी-सी है

कह गए हम ये किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी-सी है

हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी-सी है

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

दर्द अपनाता है पराए कौन - dard apanaata hai parae kaun - जावेद अख्तर - Javed Akhtar

November 10, 2019 0 Comments
दर्द अपनाता है पराए कौन
कौन सुनता है और सुनाए कौन

कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन

वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुख झेले आज़माए कौन

अब सुकूँ है तो भूलने में है
लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन

आज फिर दिल है कुछ उदास उदास
देखिये आज याद आए कौन

- जावेद अख्तर - Javed Akhtar

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