मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूं मैं
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को
वहां पे ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं
मायूस...
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूं मैं
वो ज़र्रे ज़र्रे में मौजूद है मगर मैं भी
कहीं कहीं हूं कहां हूं कहीं नहीं हूं मैं
किताब...
वो इक किताब जो मंसूब तेरे नाम से है
उसी किताब के अंदर कहीं कहीं हूं मैं
सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ
ये मेरा हुक्म है हालांकि कुछ नहीं हूं मैं
तलाश...
यहीं हुसैन भी गुज़रे यहीं यज़ीद भी था
हज़ार रंग में डूबी हुई ज़मीं हूं मैं
ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएंगी
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूं मैं
- राहत इंदौरी - Rahat Indori
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