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मुस्तफ़ा जैदी | Mustafa Jaidi | Shayari | Love Shayari | Poemgazalshayari.in

मुस्तफ़ा जैदी | Mustafa Jaidi | Shayari | Love Shayari  हम अंजुमन में सबकी तरफ़ देखते रहे  अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला  अब तो चुभती है हवा बर्फ़ के मैदानों की  इन दिनों जिस्म के एहसास से जलता था बदन कच्चे घड़े ने जीत ली नद्दी चढ़ी हुई  मज़बूत क़श्तियों को किनारा नहीं मिला  ऐ कि अब भूल गया रंगे-हिना भी तेरा  ख़त कभी ख़ून से तहरीर हुआ करते थे  कभी झिड़की से कभी प्यार से समझाते रहे  हम गई रात पे दिल को लिए बहलाते रहे  रूह के इस वीराने में तेरी याद ही सब कुछ थी  आज तो वो भी यूँ गुज़री जैसे ग़रीबों का त्यौहार  सीने में ख़िज़ां आंखों में बरसात रही है  इस इश्क़ में हर फ़स्ल की सौग़ात रही है  ढलेगी रात आएगी सहर आहिस्ता- आहिस्ता  पियो इन अंखड़ियों के नाम पर आहिस्ता- आहिस्ता  दिखा देना उसे ज़ख़्मे-जिगर आहिस्ता- आहिस्ता  समझकर, सोचकर, पहचानकर आहिस्ता- आहिस्ता  अभी तारों से खेलो चांदनी से दिल बहलाओ  मिलेगी उसके चेहरे की सहर आहिस्ता-आहिस्ता  सूफ़ी का ख़ुदा और था शायर का ख़ुदा और  तुम साथ रहे ...

कुछ पहले इन आँखों आगे क्या क्या न नज़ारा गुज़रे था | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari| Poemgazalshayari.in

फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari| Poemgazalshayari.in   कुछ पहले इन आँखों आगे क्या क्या न नज़ारा गुज़रे था  क्या रौशन हो जाती थी गली जब यार हमारा गुज़रे था  थे कितने अच्छे लोग कि जिन को अपने ग़म से फ़ुर्सत थी  सब पूछें थे अहवाल जो कोई दर्द का मारा गुज़रे था  अब के ख़िज़ाँ ऐसी ठहरी वो सारे ज़माने भूल गए  जब मौसम-ए-गुल हर फेरे में आ आ के दोबारा गुज़रे था  थी यारों की बोहतात तो हम अग़्यार से भी बेज़ार न थे  जब मिल बैठे तो दुश्मन का भी साथ गवारा गुज़रे था  अब तो हाथ सुझाई न देवे लेकिन अब से पहले तो  आँख उठते ही एक नज़र में आलम सारा गुज़रे था  - फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari| Poemgazalshayari.in हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है | इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा Facebook, Whatsapp जैसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें | धन्यवाद  !!! www.poemgazalshayari.in

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari Poemgazalshayari.in

फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari Poemgazalshayari.in  आए कुछ अब्र कुछ शराब आए  इस के बा'द आए जो अज़ाब आए  बाम-ए-मीना से माहताब उतरे  दस्त-ए-साक़ी में आफ़्ताब आए  हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो  सामने फिर वो बे-नक़ाब आए  उम्र के हर वरक़ पे दिल की नज़र  तेरी मेहर-ओ-वफ़ा के बाब आए  कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब  आज तुम याद बे-हिसाब आए  न गई तेरे ग़म की सरदारी  दिल में यूँ रोज़ इंक़लाब आए  जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम  जब भी हम ख़ानुमाँ-ख़राब आए  इस तरह अपनी ख़ामुशी गूँजी  गोया हर सम्त से जवाब आए  'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िल  हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए  - फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari Poemgazalshayari.in हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है | इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा Facebook, Whatsapp जैसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें | धन्यवाद  !!! www.poemgazalshayari.in

अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari Poemgazalshayari.in

फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari Poemgazalshayari.in  अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें  दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें  शाम हुई फिर जोश-ए-क़दह ने बज़्म-ए-हरीफ़ाँ रौशन की  घर को आग लगाएँ हम भी रौशन अपनी रात करें  क़त्ल-ए-दिल-ओ-जाँ अपने सर है अपना लहू अपनी गर्दन पे  मोहर-ब-लब बैठे हैं किस का शिकवा किस के साथ करें  हिज्र में शब भर दर्द-ओ-तलब के चाँद सितारे साथ रहे  सुब्ह की वीरानी में यारो कैसे बसर औक़ात करें    हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है | इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा Facebook, Whatsapp जैसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें | धन्यवाद  !!! www.poemgazalshayari.in - फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari Poemgazalshayari.in

फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari | Poemgazalshayari.in

 फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari  अब के बरस दस्तूर-ए-सितम में क्या क्या बाब ईज़ाद हुए  जो क़ातिल थे मक़्तूल हुए जो सैद थे अब सय्याद हुए  पहले भी ख़िज़ाँ में बाग़ उजड़े पर यूँ नहीं जैसे अब के बरस  सारे बूटे पत्ता पत्ता रविश रविश बर्बाद हुए  पहले भी तवाफ़-ए-शम्-ए-वफ़ा थी रस्म मोहब्बत वालों की  हम तुम से पहले भी यहाँ 'मंसूर' हुए 'फ़रहाद' हुए  इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा  इक चेहरा कुम्हला जाने से कितने दिल नाशाद हुए  'फ़ैज़' न हम 'यूसुफ़' न कोई 'याक़ूब' जो हम को याद करे  अपनी क्या कनआँ में रहे या मिस्र में जा आबाद हुए  - फ़ैज़ अहमज फ़ैज़  | Faiz Ahamad Faiz | फ़ैज़ अहमज फ़ैज़ shayari | Poemgazalshayari.in

दिल के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं - ओशो dil ke sehara mein koee aas ka juganoo bhee nahin - Osho poem

 दिल के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं - ओशो dil ke sehara mein koee aas ka juganoo bhee nahin - Osho poem  दिल के सेहरा में कोई आस  का जुगनू भी नहीं,  इतना रोया हूं कि अब आंख में आंसू भी नहीं,  कासा ये  दर्द लिए फिरती है गुलशन की हवा,  मेरे दामन में तेरे प्यार की खुशबू भी नहीं,  छीन गया मेरी निगाहों से भी ऐसा सब जमाल,  तेरी तस्वीर में पहला सा वो जादू भी नहीं, मौस दर मौस तेरे गम की सफक खिलती है,  मुझे सिलसिला रंग पर काबू भी नहीं,  दिल वह कमबख्त कि  धड़के ही चला जाता है,  यह अलग बात की तु जीमते पहलू भी नहीं,  यह अजब राहगुजर है कि चट्टानें तो बहुत,  और सहारे को तेरी याद के बाजू भी नहीं | ओशो -  हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है | इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा Facebook, Whatsapp जैसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें | धन्यवाद  !!! www.poemgazalshayari.in

Hamnava | Shayari | Love Shayari | Romantic Shayari

Hamnava | Shayari | Love Shayari | Romantic Shayari  छाँव जुल्फों की, ज़रा देर, हमनवा दे दे ! थका हारा हूँ, अपने दामन की हवा दे दे !! तुझको मालूम है कि मेरा इलाज है क्या, देर ना कर, इस बीमार को, दवा दे दे ! दम सा घुटता है मेरा, जाता हूँ जहाँ, दिल को अच्छी सी, आबोहवा दे दे ! मैंने चाहा है, सज़ा जो भी दे ख़ता की इस, कोई शिकवा नहीं, जो तुझको हो रवा दे दे ! कितने गम दे दिए , “कमल” के दिल को, दिल है एक, कम, मुझको तो सवा दे दे ! हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है | इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा Facebook, Whatsapp जैसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें | धन्यवाद  !!! www.poemgazalshayari.in

Aap ko yunhi to nahi chahta hua mein | Ambika Rahee

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  Aap  ko  yunhi  to  nahi   chahta   hua   mein ,   Dil se  punchho   jindagi  manta  hun   mein ,     Ek  najar   dekha  Lun, din  bhar   tarsata   hun ,   Sans ban  kar   aate  ho,  khuda  manta  hun  main.     Nahi  kah   pata   kuchh   bhi ,   aap   ke   samne ,   Kareeb   aapke , man  shunya   pata   hun   mein .     Ab  ke   alam   kuhh   aisa  ho  raha   hai  Rahee!,   Tufanon   ke   beech,   patwar  manta  hun   mein ,     Laga lo gale,  ke   thahar   jaun   bahon   mein ,   Jindagi   ki   akhiri   talash  manta  hun   mein .   -Ambika Rahee In Hindi आप को यूँही तो नहीं, चाहता हूँ मैं, दिल से पूंछो, ...