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Wednesday, November 13, 2019

दर्पण को देखा तूने - darpan ko dekha toone - - इंदीवर - Mr. indeevar

दर्पण को देखा तूने
जब जब किया श्रृंगार
फूलों को देखा तूने
जब जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मैं
मुझे नहीं देखा एक बार

सूरज की पहली किरनों को
देखा तूने अलसाते हुए
रातों में तारों को देखा
सपनों में खो जाते हुए
यूँ किसी न किसी बहाने
तूने देखा सब संसार

काजल की क़िस्मत क्या कहिये
नैनों में तूने बसाया है
आँचल की क़िस्मत क्या कहिये
तूने अंग लगाया है
हसरत ही रही मेरे दिल में
बनूँ तेरे गले का हार

- इंदीवर - Mr. indeevar

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