प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, March 27, 2021

दिल के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं - ओशो dil ke sehara mein koee aas ka juganoo bhee nahin - Osho poem

 दिल के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं - ओशो dil ke sehara mein koee aas ka juganoo bhee nahin - Osho poem


 दिल के सेहरा में कोई आस  का जुगनू भी नहीं,

 इतना रोया हूं कि अब आंख में आंसू भी नहीं,

 कासा ये  दर्द लिए फिरती है गुलशन की हवा,

 मेरे दामन में तेरे प्यार की खुशबू भी नहीं,


 छीन गया मेरी निगाहों से भी ऐसा सब जमाल,

 तेरी तस्वीर में पहला सा वो जादू भी नहीं,

मौस दर मौस तेरे गम की सफक खिलती है,

 मुझे सिलसिला रंग पर काबू भी नहीं,


 दिल वह कमबख्त कि  धड़के ही चला जाता है,

 यह अलग बात की तु जीमते पहलू भी नहीं,

 यह अजब राहगुजर है कि चट्टानें तो बहुत,

 और सहारे को तेरी याद के बाजू भी नहीं |


ओशो - 


हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है | इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा Facebook, Whatsapp जैसे सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करें | धन्यवाद  !!!


www.poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...