प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, April 12, 2020

सोए हुए जज्बों को जगाना ही नहीं था - soe hue jajbon ko jagaana hee nahin tha -गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir #poemgazalshayari.in

सोए हुए जज्बों को जगाना ही नहीं था
ऐ दिल वो मोहब्बत का ज़माना ही नहीं था

महके थे चराग़ और दहक उट्ठी थीं कलियाँ
गो सब को ख़बर थी उसे आना ही नहीं था

दीवारा पे वादों की अमरबेल चढ़ा दी
रूख़्सत के लिए और बहाना ही नहीं था

उड़ती हुई चिंगारियाँ सोने नहीं देतीं
रूठे हुए इस ख़त को जलाना ही नहीं था

नींदें भी नजर बंद हैं ताबीर भी क़ैदी
ज़िंदाँ में कोई ख़्वाब सुनाना ही नहीं था

पानी तो है कम नक़्ल-ए-मकानी है ज़्यादा
ये शहर सराबों में बसाना ही नहीं था

गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir

#poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

लिनक्स OS क्या है ? लिनेक्स कई विशेषता और उसके प्रकारों के बारे में विस्तार समझाइए ?

 लिनक्स OS  क्या है ? लिनेक्स कई विशेषता और उसके प्रकारों  के बारे में विस्तार समझाइए ? Content: 1. लिनक्स OS  क्या है ? 2. कुछ प्रसिद्द लिन...