प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, April 12, 2020

ख़ार-ए-चमन थे शबनम शबनम फूल भी सारे गीले थे - khaar-e-chaman the shabanam shabanam phool bhee saare geele the -गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir #poemgazalshayari.in

ख़ार-ए-चमन थे शबनम शबनम फूल भी सारे गीले थे
शाख़ से टूट के गिरने वाले पत्ते फिर भी पीले थे

सर्द हवाओं से तो थे साहिल के रेत के याराने
लू के थपेड़े सहने वाले सहराओं के टीले थे

ताबिंदा तारों का तोहफा सुब्ह की खिदमत में पहुँचा
रात ने चाँद की नजर किए जो तारे कम चमकीले थे

सारे सपेरे वीरानों में घूम रहे हैं बीन लिए
आबादी में रहने वाले साँप बड़े ज़हरीले थे

त यूँ ही नाराज़ हुए हो वरना मय-खाने का पता
हम ने हर उस शस़्स से पूछा जिस के नैन नशीले थे

कौन ग़ुलाम मोहम्मद ‘कासिर’ बे-चारे से करता बात
ये चालाकों की बस्ती थी और हजरत शर्मीले थे

गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir

#poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...