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Friday, January 8, 2021

हरिवंश राय बच्चन -जीवन परिचय | Biography Harivansh Rai Bachchan

 हरिवंश राय बच्चन -जीवन परिचय |  Biography Harivansh Rai Bachchan



हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में हुआ था। 

हरिवंश राय ने 1938 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अँग्रेज़ी साहित्य में एम. ए किया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के महान प्रोफ़ेसर डब्लू ० बी ० यीट्स के कविताओ पर शोध कर आपने  पी ० एच ० डी ० शिक्षा  पूरी की ।


1926 में हरिवंश राय की शादी श्यामा से हुई थी जो उस समय १४ वर्ष की थी जिनका टीबी बीमारी के कारण 1936 में निधन हो गया।। पांच साल बाद 1941 में बच्चन ने तेजी सूरी से शादी की जो एक रंगकर्मी थी । और इसके बाद आपका जीवन ही बदल गया और यही से "नीड़ का निर्माण फिर फिर " जैसे रचनाओं की शुरू आत हुई और मधुशाला जैसे प्रसिद्ध रचनाओ के बाद भी रचनाओ का सिलसिला चलता रहा |

श्री हरिवंश राय "बच्चन " जी  आप ने जो हमें दिया है हम उसके सदैव ऋणी रहेंगे |


1952 में पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य/काव्य पर शोध किया। 1955 में कैम्ब्रिज से वापस आने के बाद आपकी भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में भी कार्य किया |


1976 में आपको पद्मभूषण की उपाधी मिली। इससे पहले आपको 'दो चट्टानें' (कविता-संग्रह) के लिए 1968 में साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिला था। 

18 जनवरी, 2003 को मुंबई में साँस की तकलीफ होने की वजह से आप इस धरा को छोड़ गए ।


अपनी काव्य-यात्रा के आरम्भिक दौर में आप 'उमर ख़ैय्याम' के जीवन-दर्शन से बहुत प्रभावित रहे और ऐसा कहा जाता है आपकी  प्रसिद्ध कृति, 'मधुशाला' उमर ख़ैय्याम की रूबाइयों से प्रेरित होकर ही लिखी गई थी।


हरिवंश राय बच्चन की मुख्य-कृतियां


मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, सतरंगिनी, विकल विश्व, खादी के फूल, सूत की माला, मिलन, दो चट्टानें व आरती और अंगारे इत्यादि बच्चन की मुख्य कृतियां हैं।


 

 कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ 


मधुशाला | Madhushala

मृदु भावों के अंगूरों की 

आज बना लाया हाला, 

प्रियतम, अपने ही हाथों से 

आज पिलाऊँगा प्याला;

पहले भोग लगा लूँ तेरा, 

फिर प्रसाद जग पाएगा; 

सबसे पहले तेरा स्वागत 

करती मेरी मधुशाला। ।१।

नीड़ का निर्माण फिर - फिर आपकी ये कविता उत्तर प्रदेश बोर्ड के ७ या ८ क्लास में थी जो मुझे आज भी याद है और जब मैं हालातों से तंग आ जाता हूँ तो एक बार इसे जरुर गुनगुना लेता हूँ उर्जा का संचार मेरे शरीर मैं भर जाता है | 


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