प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Monday, June 22, 2020

रिस रहा है घाव कोई, ज़िन्दगी की शर्त पर - ris raha hai ghaav koee, zindagee kee shart par -- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

रिस रहा है घाव कोई, ज़िन्दगी की शर्त पर।
कुतरता है पाँव मेरे यह अभावों का सफ़र।

कर नहीं पाया अभी तक रिश्ते-नातों का हिसाब,
उधर कितने लोग हैं, कितना अकेलापन इधर।

रोज़ क्यों लगता है कि मंज़िल खड़ी है सामने
और बाक़ी रह गया है फ़ासला बस हाथ-भर।

बिखरने के डर से क्यों ऐसे सहेजा स्वयं को,
रेत के मानिन्द साबुत रह गया सब टूटकर।

बून्द-भर भी पता होता काश सच के मायने,
नहीं होती आँसुओं में दर्द की ऐसी लहर।

- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi

#www.poemgazalshayari.in

||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

No comments:

Post a Comment

UP Free Scooty Scheme 2025 कैसे करें यूपी फ्री स्कूटी के लिए आवेदन यहाँ देखें सम्पूर्ण जानकारी

 UP Free Scooty Scheme 2025 कैसे करें यूपी फ्री स्कूटी के लिए आवेदन यहाँ देखें सम्पूर्ण जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की छात्राओं के ल...