हुई शाम मेरी सवेरे-सवेरे - huee shaam meree savere-savere -- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

हुई शाम मेरी सवेरे-सवेरे।
कोई क्यों नहीं चल रहा साथ मेरे।

चला था जहाँ से, वहीं का वहीं हूँ,
अकेले-अकेले मैं हूँ भी, नहीं हूँ,
स्वयं इस तरह क्यों कहीं-का-कहीं हूँ
मैं कितना गलत हूँ, मैं कितना सही हूँ
सताते बहुत हैं सफ़र के अन्धेरे।

किया जिन्दगी भर धुनाई-बुनाई,
कटाई-छँटाई, सिलाई-कढ़ाई,
फटे-चीथड़ों से सुई की सगाई,
मरम्मत कोई भी नहीं काम आई,
लगाता रहा निर्वसन वक़्त फेरे।

उगाएँ जो जंगल हमारे वतन में,
सगे हैं वे सबसे सियासी चलन में,
जगाते रहे खौफ़ जन-गण के मन में
चमकदार मणि नागराजों के फन में
थिरकती रहीं नागिनें मरघटों पर,
बजाते रहे बीन बूढ़े सँपेरे।

- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi

#www.poemgazalshayari.in

||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

Comments

Popular posts from this blog

ग अक्षर से शुरू होने वाले गाने | Hindi Song From Word G (ग शब्द से हिंदी गाने) | poemgazalshayari.in

इ शब्द से शुरू होने वाले हिंदी गाने | List of Hindi Song From Word I (इ/ई शब्द से हिंदी गीत ) | poemgazalshayari.in

अ से शुरू होने वाले हिंदी गाने | अंताक्षरी गाने– Hindi Song From Aa (आ शब्द से हिन्दी गाने) | Poemgazalshayari.in