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Friday, April 24, 2020

वो भी सरहाने लगे अरबाबे-फ़न के बाद - vo bhee sarahaane lage arabaabe-fan ke baad .- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi #poemgazalshayari.in


वो भी सरहाने लगे अरबाबे-फ़न के बाद ।
दादे-सुख़न मिली मुझे तर्के-सुखन के बाद ।

दीवानावार चाँद से आगे निकल गए
ठहरा न दिल कहीं भी तेरी अंजुमन के बाद ।

एलाने-हक़ में ख़तरा-ए-दारो-रसन तो है
लेकिन सवाल ये है कि दारो-रसन के बाद ।

होंटों को सी के देखिए पछताइयेगा आप
हंगामे जाग उठते हैं अकसर घुटन के बाद ।

गुरबत की ठंडी छाँव में याद आई है उसकी धूप
क़द्रे-वतन हुई हमें तर्के-वतन के बाद

इंसाँ की ख़ाहिशों की कोई इंतेहा नहीं
दो गज़ ज़मीन चाहिए, दो गज़ कफ़न के बाद ।



- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi


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