प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Friday, April 24, 2020

एक दो भी नहीं छब्बीस दिये - ek do bhee nahin chhabbees diye -- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi #poemgazalshayari.in

एक दो भी नहीं छब्बीस दिये
एक इक करके जलाये मैंने

इक दिया नाम का आज़ादी के
उसने जलते हुये होठों से कहा
चाहे जिस मुल्क से गेहूँ माँगो
हाथ फैलाने की आज़ादी है

इक दिया नाम का खुशहाली के
उस के जलते ही यह मालूम हुआ
कितनी बदहाली है
पेत खाली है मिरा, ज़ेब मेरी खाली है

इक दिया नाम का यक़जिहती के
रौशनी उस की जहाँ तक पहुँची
क़ौम को लड़ते झगड़ते देखा
माँ के आँचल में हैं जितने पैबंद
सब को इक साथ उधड़ते देखा

दूर से बीवी ने झल्ला के कहा
तेल महँगा भी है, मिलता भी नहीं
क्यों दिये इतने जला रक्खे हैं
अपने घर में झरोखा न मुन्डेर
ताक़ सपनों के सजा रक्खे हैं

आया गुस्से का इक ऐसा झोंका
बुझ गये सारे दिये-
हाँ मगर एक दिया, नाम है जिसका उम्मीद
झिलमिलाता ही चला जाता है

- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi


#poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

मुँह के छाले क्या हैं? मुँह के छालों के लक्षण क्या हैं?

मुँह के छाले क्या हैं? मुँह के छालों के लक्षण क्या हैं?  Content: मुँह के छाले क्या हैं? मुँह के छालों के लक्षण क्या हैं? मुंह के छाले कैसे ...