प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Monday, March 2, 2020

ताक रहे हो गगन - taak rahe ho gagan -Sumitra Nandan Pant - सुमित्रानंदन पंत #Poem Gazal Shayari

ताक रहे हो गगन?
मृत्य-नीलिमा-गहन गगन?
अनिमेष, अचितवन, काल-नयन-
नि:स्पंद, शून्य, निर्जन, नि:स्वन!

देखो भू को!
जीव प्रसू को!
हरित भरित
पल्लवित मर्मरित
कूजित गुंजित
कुसुमित
भू को!

कोमल
चंचल
शाद्वल
अंचल,
कल-कल
छल-छल
चल-जल-निर्मल,

कुसुम खचित
मारुत सुरभित
खग कुल कूजित
प्रिय पशु मुखरित-
जिस पर अंकित

सुर मुनि वंदित
मानव पद तल!

देखो भू को
स्वर्गिक भू को,
मानव पुण्य प्रसू को!


Sumitra Nandan Pant - सुमित्रानंदन पंत 

#Poem Gazal Shayari

#Poem_Gazal_Shayari

No comments:

Post a Comment

Free Remote control apps like anydesk | Freemium & Commercial Options

 List of Free Remote control apps like Anydesk RustDesk – A great open-source alternative to AnyDesk with self-hosting capabilities. UltraVN...