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Friday, February 21, 2020

कुछ न हुआ, न हो - kuchh na hua, na ho - - - सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" - Suryakant Tripathi "Nirala" - Poem_Gazal_Shayari

कुछ न हुआ, न हो
मुझे विश्व का सुख, श्री, यदि केवल
पास तुम रहो!
मेरे नभ के बादल यदि न कटे-
चन्द्र रह गया ढका,
तिमिर रात को तिरकर यदि न अटे
लेश गगन-भास का,
रहेंगे अधर हँसते, पथ पर, तुम
हाथ यदि गहो।
बहु-रस साहित्य विपुल यदि न पढ़ा--
मन्द सबों ने कहा,
मेरा काव्यानुमान यदि न बढ़ा--
ज्ञान, जहाँ का रहा,
रहे, समझ है मुझमें पूरी, तुम
कथा यदि कहो।

- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" - Suryakant Tripathi "Nirala"

- Poem_Gazal_Shayari

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