प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Friday, February 21, 2020

गहन है यह अंधकारा; - gahan hai yah andhakaara; - - सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" - Suryakant Tripathi "Nirala" - Poem_Gazal_Shayari

गहन है यह अंधकारा;
स्वार्थ के अवगुंठनों से
हुआ है लुंठन हमारा।

खड़ी है दीवार जड़ की घेरकर,
बोलते है लोग ज्यों मुँह फेरकर
इस गगन में नहीं दिनकर;
नही शशधर, नही तारा।

कल्पना का ही अपार समुद्र यह,
गरजता है घेरकर तनु, रुद्र यह,
कुछ नही आता समझ में
कहाँ है श्यामल किनारा।

प्रिय मुझे वह चेतना दो देह की,
याद जिससे रहे वंचित गेह की,
खोजता फिरता न पाता हुआ,
मेरा हृदय हारा।

- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" - Suryakant Tripathi "Nirala"

- Poem_Gazal_Shayari

No comments:

Post a Comment

How to stay healthy? स्वस्थ कैसे बने रहे ?

 How to stay healthy?   स्वस्थ कैसे बने रहे ? Key Included: Healthy Eating Regular Exercise Good Sleep Stress Management Other Healthy Habit...