प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Tuesday, September 3, 2019

किसी कली ने भी देखा न आँख भर के मुझे - kisee kalee ne bhee dekha na aankh bhar ke mujhe-- नासिर काज़मी- Nasir Kazmi

किसी कली ने भी देखा न आँख भर के मुझे 
गुज़र गई जरस-ए-गुल उदास कर के मुझे 

मैं सो रहा था किसी याद के शबिस्ताँ में 
जगा के छोड़ गये क़ाफ़िले सहर के मुझे 

मैं रो रहा था मुक़द्दर की सख़्त राहों में 
उड़ा के ले गया जादू तेरी नज़र का मुझे 

मैं तेरी दर्द की तुग़ियानियों में डूब गया 
पुकारते रहे तारे उभर-उभर के मुझे 

तेरे फ़िराक़ की रातें कभी न भूलेंगी 
मज़े मिले इन्हीं रातों में उम्र भर के मुझे 

ज़रा सी देर ठहरने दे ऐ ग़म-ए-दुनिया 
बुला रहा है कोई बाम से उतर के मुझे 

फिर आज आई थी इक मौज-ए-हवा-ए-तरब 
सुना गई है फ़साने इधर-उधर के मुझे


- नासिर काज़मी- Nasir Kazmi


No comments:

Post a Comment

राजकीय सम्मान के साथ रतन टाटा का अंतिम संस्कार किया गया

   राजकीय सम्मान के साथ रतन टाटा का अंतिम संस्कार किया गया टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का गुरुवार 10 अक्टूबर को मुंबई के वर्ली श्म...