मत छुओ इस झील को - mat chhuo is jheel ko --raamadhaaree sinh "dinakar" -रामधारी सिंह "दिनकर"

मत छुओ इस झील को। 
कंकड़ी मारो नहीं, 
पत्तियाँ डारो नहीं, 
फूल मत बोरो। 
और कागज की तरी इसमें नहीं छोड़ो। 

खेल में तुमको पुलक-उन्मेष होता है, 
लहर बनने में सलिल को क्लेश होता है।

-raamadhaaree sinh "dinakar"  -रामधारी सिंह "दिनकर"

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