प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Wednesday, July 31, 2019

समझ लिया था बस इक जंग जीत कर हमने - samajh liya tha bas ik jang jeet kar hamane - - आदिल रशीद- aadil rasheed


समझ लिया था बस इक जंग जीत कर हमने 
के हमने मंज़िल-ऐ-मक़सूद[1] पर क़दम रक्खे 
जो ख़्वाब आँखों में पाले हुए थे मुद्दत से 
वो ख़्वाब पूरा हुआ आई है चमन में बहार
मिरे दिमाग में लेकिन सवाल उठते हैं 
क्यूँ हक बयानी[2] का सूली है आज भी ईनाम ? 
क्यूँ लोग अपने घरों से निकलते डरते हैं ?
क्यूँ तोड़ देती हें दम कलियाँ खिलने से पहले ?
क्यूँ पेट ख़ाली के ख़ाली हैं खूँ बहा कर भी ?
क्यूँ मोल मिटटी के अब इंतिकाम बिकता है? 
क्यूँ आज बर्फ़ के खेतों में आग उगती है ? 
अभी तो ऐसे सवालों से लड़नी है जंगें 
अभी है दूर बहुत ,बहुत दूर मंज़िल-ऐ-मक़सूद

- आदिल रशीद- aadil rasheed

No comments:

Post a Comment

Free Remote control apps like anydesk | Freemium & Commercial Options

 List of Free Remote control apps like Anydesk RustDesk – A great open-source alternative to AnyDesk with self-hosting capabilities. UltraVN...