गिर के उठ कर जो चल नहीं सकता
वो कभी भी संभल नहीं सकता
तेरे सांचे में ढल नहीं सकता
इसलिए साथ चल नहीं सकता
आप रिश्ता रखें, रखें न रखें
मैं तो रिश्ता बदल नहीं सकता
वो भी भागेगा गन्दगी की तरफ़
मैं भी फितरत बदल नहीं सकता
आप भावुक हैं आप पाग़ल हैं
वो है पत्थर पिघल नहीं सकता
इस पे मंज़िल मिले , मिले न मिले
अब मैं रस्ता बदल नहीं सकता
तुम ने चालाक कर दिया मुझको
अब कोई वार चल नहीं सकता
- आदिल रशीद- aadil rasheed
No comments:
Post a Comment