जो मंसबो के पुजारी पहन के आते हैं।
कुलाह तौक से भारी पहन के आते है।
अमीर शहर तेरे जैसी क़ीमती पोशाक
मेरी गली में भिखारी पहन के आते हैं।
यही अकीक़ थे शाहों के ताज की जीनत
जो उँगलियों में मदारी पहन के आते हैं।
इबादतों की हिफाज़त भी उनके जिम्मे हैं।
जो मस्जिदों में सफारी पहन के आते हैं।
Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ० राहत “इन्दौरी”
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