प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, July 13, 2019

एक दिन देखकर उदास बहुत - ek din dekhakar udaas bahut - Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ० राहत “इन्दौरी”

एक दिन देखकर उदास बहुत
आ गए थे वो मेरे पास बहुत ।

ख़ुद से मैं कुछ दिनों से मिल न सका
लोग रहते हैं आस-पास बहुत ।

अब गिरेबाँ बा-दस्त हो जाओ
कर चुके उनसे इल्तेमास[1] बहुत ।

किसने लिक्खा था शहर का नोहा
लोग पढ़कर हुए उदास बहुत ।

अब कहाँ हम-से पीने वाले रहे
एक टेबल पे इक गिलास बहुत ।

तेरे इक ग़म ने रेज़ा-रेज़ा किया
वर्ना हम भी थे ग़म-श्नास बहुत ।

कौन छाने लुगात[2] का दरिया
आप का एक इक्तेबास[3] बहुत ।

ज़ख़्म की ओढ़नी, लहू की कमीज़
तन सलामत रहे लिबास बहुत ।

Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ०  राहत “इन्दौरी”   

No comments:

Post a Comment

UP Free Scooty Scheme 2025 कैसे करें यूपी फ्री स्कूटी के लिए आवेदन यहाँ देखें सम्पूर्ण जानकारी

 UP Free Scooty Scheme 2025 कैसे करें यूपी फ्री स्कूटी के लिए आवेदन यहाँ देखें सम्पूर्ण जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की छात्राओं के ल...