अजीब लोग थे वो तितलियाँ बनाते थे - ajeeb log the vo titaliyaan banaate the - - लियाक़त जाफ़री - liyaaqat jaafaree

अजीब लोग थे वो तितलियाँ बनाते थे 

समुंदरों के लिए सीपियाँ बनाते थे 

वही बनाते थे लोहे को तोड़ कर ताला 

फिर उस के बा'द वही चाबियाँ बनाते थे 

मेरे क़बीले में ता'लीम का रिवाज न था 

मिरे बुज़ुर्ग मगर तख़्तियाँ बनाते थे 

फ़ुज़ूल वक़्त में वो सारे शीशागर मिल कर 

सुहागनों के लिए चूड़ियाँ बनाते थे 

- लियाक़त जाफ़री - liyaaqat jaafaree

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