प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, July 13, 2019

आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे - aankh pyaasee hai koee manzar de - Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ० राहत “इन्दौरी”

आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे,
इस जज़ीरे को भी समन्दर दे|

अपना चेहरा तलाश करना है,
गर नहीं आइना तो पत्थर दे|

बन्द कलियों को चाहिये शबनम, 
इन चिराग़ों में रोशनी भर दे|

पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतार,
इस सदी को कोई पयम्बर दे|

क़हक़हों में गुज़र रही है हयात,
अब किसी दिन उदास भी कर दे|

फिर न कहना के ख़ुदकुशी है गुनाह,
आज फ़ुर्सत है फ़ैसला कर दे|

Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ०  राहत “इन्दौरी”   

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...