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Wednesday, July 15, 2020

आयी देखत मनमोहनकू - aayee dekhat manamohanakoo -- मीराबाई- Meera Bai #www.poemgazalshayari.in #Poem #Gazal #Shayari #Hindi Kavita #Shayari #Love shayari

आयी देखत मनमोहनकू। मोरे मनमों छबी छाय रही॥ध्रु०॥
मुख परका आचला दूर कियो। तब ज्योतमों ज्योत समाय रही॥२॥
सोच करे अब होत कंहा है। प्रेमके फुंदमों आय रही॥३॥
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर। बुंदमों बुंद समाय रही॥४॥


हृदय तुमकी करवायो। हूं आलबेली बेल रही कान्हा॥१॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। मुरली क्यौं बजावे कान्हा॥२॥
ब्रिंदाबनमों कुंजगलनमों। गड उनकी चरन धुलाई॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। घर घर लेऊं बलाई॥४॥

मनमोहन गिरिवरधारी॥ध्रु०॥
मोर मुकुट पीतांबरधारी। मुरली बजावे कुंजबिहारी॥१॥
हात लियो गोवर्धन धारी। लिला नाटकी बांकी गत है न्यारी॥२॥
ग्वाल बाल सब देखन आयो। संग लिनी राधा प्यारी॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। आजी आईजी हमारी फेरी॥४॥

बालपनमों बैरागन करी गयोरे॥ध्रु०॥
खांदा कमलीया तो हात लकरीया। जमुनाके पार उतारगयोरे॥१॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत। बनसीकी टेक सुनागयोरे॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। सावली सुरत दरशन दे गयोरे॥३॥


लटपटी पेचा बांधा राज॥ध्रु०॥
सास बुरी घर ननंद हाटेली। तुमसे आठे कियो काज॥१॥
निसीदन मोहिके कलन परत है। बनसीनें सार्‍यो काज॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधन नागर। चरन कमल सिरताज॥३॥

- मीराबाई- Meera Bai

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