यह अंदेस सोच जिय मेरे ।
निसिबासर गुन गाऊ~म तेरे ॥टेक॥
तुम चिंतित मेरी चिंतहु जाई ।
तुम चिंतामनि हौ एक नाई ॥१॥
भगत-हेत का का नहिं कीन्हा ।
हमरी बेर भए बलहीना ॥२॥
कह रैदास दास अपराधी ।
जेहि तुम द्रवौ सो भगति न साधी ॥३॥
- रैदास- Raidas
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