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Friday, June 26, 2020

वन्या हँसती खिल-खिल-खिल- vanya hansatee khil-khil-khil-- उषा यादव- Usha Yadav #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

वन्या हँसती खिल-खिल-खिल।
उसकी हँसी बड़ी झिलमिल।

मोती जैसी चमक रही।
तारों जैसी दमक रही।

भोर सुहानी है निर्मल।
झरने की ध्वनि कल-कल-कल।

चंदा जैसी है उंजली।
मीठी, मोहक, बड़ी भली।

खिली भोर-सी उजियारी।
लगती है कितनी प्यारी।

अधरों की शोभा बाँकी।
हँसी निराली वन्या की।

- उषा यादव- Usha Yadav

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