वन्या हँसती खिल-खिल-खिल।
उसकी हँसी बड़ी झिलमिल।
मोती जैसी चमक रही।
तारों जैसी दमक रही।
भोर सुहानी है निर्मल।
झरने की ध्वनि कल-कल-कल।
चंदा जैसी है उंजली।
मीठी, मोहक, बड़ी भली।
खिली भोर-सी उजियारी।
लगती है कितनी प्यारी।
अधरों की शोभा बाँकी।
हँसी निराली वन्या की।
- उषा यादव- Usha Yadav
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
Please Subscribe to our youtube channel
https://www.youtube.com/channel/UCdwBibOoeD8E-QbZQnlwpng
No comments:
Post a Comment