सबका पानी सोख रहे हैं कोठी वाले बम्मड़जी,
छप्पर-छप्पर भौंक रहे हैं कोठी वाले बम्मड़जी।
और कहीं पर लेब-न-देब
कुर्ते में 'स्विस' वाला जेब
गाँठ-गाँठ में लिये फरेब कोठी वाले बम्मड़जी।
मुर्ग-मोसल्लम चाँप रहे थे
टिकट के लिए काँप रहे थे
बित्ता-बित्ता नाप रहे अब कोठी वाले बम्मड़जी।
पाँच साल तक सीधा रेट
छप्पन छुरी, बहत्तर पेट
फिर करने निकले आखेट कोठी वाले बम्मड़जी।
- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi
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