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Monday, June 29, 2020

सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी - saanvara mhaaree preet nibhaajyo jee -- मीराबाई- Meera Bai #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love|| Please Subscribe to our youtube channel

सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी॥
थे छो म्हारा गुण रा सागर, औगण म्हारूं मति जाज्यो जी।
लोकन धीजै (म्हारो) मन न पतीजै, मुखडारा सबद सुणाज्यो जी॥
मैं तो दासी जनम जनम की, म्हारे आंगणा रमता आज्यो जी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बेड़ो पार लगाज्यो जी॥

शब्दार्थ :- निभाज्यो =निभा लेना। थे छौ =तुम हो। औगण =अवगुण, दोष, भूलें। जाज्यो = जानना, मन में लाना। पतीजै =विश्वासकरना। मुखडारा =मुख का। रमता आज्यो =विहार करते हुए आना।


- मीराबाई- Meera Bai

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