नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर - nahin bishraamm lahoon dharaneendhar -- रैदास- Raidas #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

नहीं बिश्रांम लहूँ धरनींधर।
जाकै सुर नर संत सरन अभिअंतर।। टेक।।
जहाँ जहाँ गयौ, तहाँ जनम काछै, तृबिधि ताप तृ भुवनपति पाछै।।१।।
भये अति छीन खेद माया बस, जस तिन ताप पर नगरि हतै तस।।२।।
द्वारैं न दसा बिकट बिष कारंन, भूलि पर्यौ मन या बिष्या बन।।३।।
कहै रैदास सुमिरौ बड़ राजा, काटि दिये जन साहिब लाजा।।४।

- रैदास- Raidas

#www.poemgazalshayari.in

||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

Comments

Popular posts from this blog

ग अक्षर से शुरू होने वाले गाने | Hindi Song From Word G (ग शब्द से हिंदी गाने) | poemgazalshayari.in

इ शब्द से शुरू होने वाले हिंदी गाने | List of Hindi Song From Word I (इ/ई शब्द से हिंदी गीत ) | poemgazalshayari.in

अ से शुरू होने वाले हिंदी गाने | अंताक्षरी गाने– Hindi Song From Aa (आ शब्द से हिन्दी गाने) | Poemgazalshayari.in