प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Tuesday, June 9, 2020

जौ पै जिय धरिहौ अवगुन ज़नके - jau pai jiy dharihau avagun zanake -तुलसीदास- Tulsidas #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

जौ पै जिय धरिहौ अवगुन ज़नके।
तौ क्यों कट सुकृत नखते मो पै, बिपुल बृदं अघ बनके॥१॥
कहिहैं कौन कलुष मेरे कृत, कर्म बचन अरु मनके।
हारिहैं अमित सेष सारद-स्त्रुति, गिनत एक इक छनके॥२॥
जो चित पड़्हे नाम महिमा निज, गुनगुन पावन पनके।
तौ तुलसीहिं तारिहौ बिप्र ज्यों, दसन तोरि जम-गनके॥३॥

 तुलसीदास- Tulsidas

#www.poemgazalshayari.in

||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...