प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, June 7, 2020

हरि को ललित बदन निहारु - hari ko lalit badan nihaaru -- तुलसीदास- Tulsidas #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

हरि को ललित बदन निहारु!
निपटही डाँटति निठुर ज्यों लकुट करतें डारु॥
मंजु अंजन सहित जल-कन चुक्त लोचन-चारु।
स्याम सारस मग मनो ससि स्त्रवत सुधा-सिंगारु॥
सुभग उर,दधि बुंद सुंदर लखि अपनपौ वारु।
मनहुँ मरकत मृदु सिखरपर लसत बिसद तुषारु॥
कान्हहूँ पर सतर भौंहैं, महरि मनहिं बिचारु।
दास तुलसी रहति क्यौं रिस निरखि नंद कुमारु॥

- तुलसीदास- Tulsidas

#www.poemgazalshayari.in

||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

No comments:

Post a Comment

What is the Group Policy Editor in windows opration system?

What is the Group Policy Editor in windows opration system?  Key Content: What is Group Policy Editor? How to Open Group Policy Editor? Grou...