भाई रे भ्रम भगति सुजांनि - bhaee re bhram bhagati sujaanni -- रैदास- Raidas #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
भाई रे भ्रम भगति सुजांनि।
जौ लूँ नहीं साच सूँ पहिचानि।। टेक।।
भ्रम नाचण भ्रम गाइण, भ्रम जप तप दांन।
भ्रम सेवा भ्रम पूजा, भ्रम सूँ पहिचांनि।।१।।
भ्रम षट क्रम सकल सहिता, भ्रम गृह बन जांनि।
भ्रम करि करम कीये, भरम की यहु बांनि।।२।।
भ्रम इंद्री निग्रह कीयां, भ्रंम गुफा में बास।
भ्रम तौ लौं जांणियै, सुनि की करै आस।।३।।
भ्रम सुध सरीर जौ लौं, भ्रम नांउ बिनांउं।
भ्रम भणि रैदास तौ लौं, जो लौं चाहे ठांउं।।४।।
- रैदास- Raidas
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
Comments
Post a Comment