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Sunday, June 7, 2020

भाई! हौं अवध कहा रहि लैहौं - bhaee! haun avadh kaha rahi laihaun -- तुलसीदास- Tulsidas #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

भाई! हौं अवध कहा रहि लैहौं।
राम-लकन-सिय-चरन बिलोकन काल्हि काननहिं जैहौं॥
जद्यपि मोतें, कै कुमातु, तैं ह्वै आई अति पोची।
सनमुख गए सरन राखहिंगे रघुपति परम सँकोची॥
तुलसी यों कहि चले भोरहीं, लोग बिकल सँग लागे।
जनु बन जरत देखि दारुन दव निकसि बिहँग मृग भागे॥

- तुलसीदास- Tulsidas

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