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Friday, May 8, 2020

विदा देती एक दुबली बाँह सी यह मेड़ - vida detee ek dubalee baanh see yah med --धर्मवीर भारती - Dharamvir Bharti #dharmveerbharti #धर्मवीर #poemgazalshayari.in

विदा देती एक दुबली बाँह सी यह मेड़
अंधेरे में छूटते चुपचाप बूढ़े पेड़

ख़त्म होने को ना आएगी कभी क्या
एक उजड़ी माँग सी यह धूल धूसर राह?
एक दिन क्या मुझी को पी जाएगी
यह सफर की प्यास, अबुझ, अथाह?

क्या यही सब साथ मेरे जायेंगे
ऊँघते कस्बे, पुराने पुल?
पाँव में लिपटी हुई यह धनुष-सी दुहरी नदी
बींध देगी क्या मुझे बिलकुल?

-धर्मवीर भारती - Dharamvir Bharti

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