प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Thursday, May 28, 2020

खुब गए दूधिया निगाहों में - khub gae doodhiya nigaahon mein -- नागार्जुन - Nagarjuna #poemgazalshayari.in

खुब गए
दूधिया निगाहों में
फटी बिवाइयोंवाले खुरदरे पैर

धँस गए
कुसुम-कोमल मन में
गुट्ठल घट्ठोंवाले कुलिश-कठोर पैर

दे रहे थे गति
रबड़-विहीन ठूँठ पैडलों को
चला रहे थे
एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन चक्र
कर रहे थे मात त्रिविक्रम वामन के पुराने पैरों को
नाप रहे थे धरती का अनहद फासला
घण्टों के हिसाब से ढोये जा रहे थे !

देर तक टकराए
उस दिन इन आँखों से वे पैर
भूल नहीं पाऊंगा फटी बिवाइयाँ
खुब गईं दूधिया निगाहों में
धँस गईं कुसुम-कोमल मन में


- नागार्जुन - Nagarjuna
#poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...