प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, April 5, 2020

उड़ती है धूल, कहती : "थे आए - udatee hai dhool, kahatee : "the aae -रवीन्द्रनाथ टैगोर - Rabindranath tagore, #poemgazalshayari.in




उड़ती है धूल, कहती : "थे आए,
चैतरात,लौट गए, बिना कुछ बताए ।"
आए फिर, लगा यही, बैठा एकाकी ।
वन-वन में तैर रही तेरी ही झाँकी ।।
नए-नए किसलय ये, लिए लय पुरानी,
इसमें तेरी सुगंध, पैठी, समानी ।।
उभरे तेरे आखर, पड़े तुम दिखाई ।
हाँ,हाँ, वह उभरी थी तेरी परछाईं ।।
डोला माधवी-कुंज,तड़पन के साथ ।
लगा यही छू लेगा, तुम्हें बढ़ा हाथ ।।


रवीन्द्रनाथ ठाकुर - Rabindranath Thakur,
रवीन्द्रनाथ टैगोर - Rabindranath tagore,

#poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

How to sell on OLX | OLX full tutorial | Online Sellings

 How to sell on OLX | OLX full tutorial  Key Content: Research your product Highlight the key features Be concise and specific Use keywords ...