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Saturday, March 14, 2020

तहज़ीब के ख़िलाफ़ है जो लाये राह पर - tahazeeb ke khilaaf hai jo laaye raah par -अकबर "इलाहाबादी" - Akbar "Allahabadi" Poem Gazal Shayari


तहज़ीब के ख़िलाफ़ है जो लाये राह पर
अब शायरी वह है जो उभारे गुनाह पर

क्या पूछते हो मुझसे कि मैं खुश हूँ या मलूल
यह बात मुन्हसिर है तुम्हारी निगाह पर

अकबर "इलाहाबादी" - Akbar "Allahabadi"

Poem Gazal Shayari

#poemgazalshayari

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