रोज़ सवेरे मैं थोड़ा-सा अतीत में जी लेता हूँ-
क्यों कि रोज़ शाम को मैं थोड़ा-सा भविष्य में मर जाता हूँ।
sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"
#Poem Gazal Shayari
लिनक्स OS क्या है ? लिनेक्स कई विशेषता और उसके प्रकारों के बारे में विस्तार समझाइए ? Content: 1. लिनक्स OS क्या है ? 2. कुछ प्रसिद्द लिन...
No comments:
Post a Comment