बह चुकी बहकी हवाएँ चैत की
कट गईं पूलें हमारे खेत की
कोठरी में लौ बढ़ा कर दीप की
गिन रहा होगा महाजन सेंत की।
sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"
#Poem Gazal Shayari
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मुँह के छाले क्या हैं? मुँह के छालों के लक्षण क्या हैं? Content: मुँह के छाले क्या हैं? मुँह के छालों के लक्षण क्या हैं? मुंह के छाले कैसे ...
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