रात कल गहरी नींद में थी जब
एक ताज़ा-सफ़ेद कैनवस पर
आतिशीं, लाल -सुर्ख रंगों से
मैं ने रौशन किया था इक सूरज-
सुबह तक जल गया था वह कैनवस
राख बिखरी हुई थी कमरे में
गुलजार - Gulzar
-Poem Gazal Shayari
Teri Muhabbat ne sikhaya, mujhe bharosha karna, warna ek sa samjh sabko, gunah kar baitha tha. -Ambika Rahee हमारे इस पोस्ट को पढ़ने के लिए ...
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