प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, February 15, 2020

रात भर सर्द हवा चलती रही - raat bhar sard hava chalatee rahee - गुलजार - Gulzar -Poem Gazal Shayari

रात भर सर्द हवा चलती रही
रात भर हमने अलाव तापा
मैंने माजी से कई खुश्क सी शाखें काटीं
तुमने भी गुजरे हुये लम्हों के पत्ते तोड़े
मैंने जेबों से निकालीं सभी सूखीं नज़्में
तुमने भी हाथों से मुरझाये हुये खत खोलें
अपनी इन आंखों से मैंने कई मांजे तोड़े
और हाथों से कई बासी लकीरें फेंकी
तुमने पलकों पे नामी सूख गयी थी, सो गिरा दी|

रात भर जो भी मिला उगते बदन पर हमको
काट के दाल दिया जलाते अलावों मसं उसे
रात भर फून्कों से हर लोऊ को जगाये रखा
और दो जिस्मों के ईंधन को जलाए रखा
रात भर बुझते हुए रिश्ते को तापा हमने |

गुलजार - Gulzar

-Poem Gazal Shayari

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...