प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, October 13, 2019

इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी-ए-कामिल को - ikkees baras guzare aazaadee-e-kaamil ko, - -साहिर_लुधियानवी - saahir ludhiyaanavee

इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी-ए-कामिल को,

तब जाके कहीं हम को ग़ालिब का ख़्याल आया ।

तुर्बत है कहाँ उसकी, मसकन था कहाँ उसका,

अब अपने सुख़न परवर ज़हनों में सवाल आया ।


सौ साल से जो तुर्बत चादर को तरसती थी,
अब उस पे अक़ीदत के फूलों की नुमाइश है ।
उर्दू के ताल्लुक से कुछ भेद नहीं खुलता,
यह जश्न, यह हंगामा, ख़िदमत है कि साज़िश है ।

जिन शहरों में गुज़री थी, ग़ालिब की नवा बरसों,

उन शहरों में अब उर्दू बे नाम-ओ-निशां ठहरी ।

आज़ादी-ए-कामिल का ऎलान हुआ जिस दिन,

मातूब जुबां ठहरी, गद्दार जुबां ठहरी ।


जिस अहद-ए-सियासत ने यह ज़िन्दा जुबां कुचली,
उस अहद-ए-सियासत को मरहूमों का ग़म क्यों है ।
ग़ालिब जिसे कहते हैं उर्दू ही का शायर था,
उर्दू पे सितम ढा कर ग़ालिब पे करम क्यों है ।

ये जश्न ये हंगामे, दिलचस्प खिलौने हैं,

कुछ लोगों की कोशिश है, कुछ लोग बहल जाएँ ।

जो वादा-ए-फ़रदा, पर अब टल नहीं सकते हैं,

मुमकिन है कि कुछ अर्सा, इस जश्न पर टल जाएँ ।


यह जश्न मुबारक हो, पर यह भी सदाकत है,
हम लोग हक़ीकत के अहसास से आरी हैं ।
गांधी हो कि ग़ालिब हो, इन्साफ़ की नज़रों में,
हम दोनों के क़ातिल हैं, दोनों के पुजारी हैं ।

-साहिर लुधियानवी - saahir ludhiyaanavee

No comments:

Post a Comment

How to link aadhar and pancard online

How to link aadhar and pancard online   Linking Aadhaar and PAN has become a mandatory requirement for Indian citizens as per the government...