प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Wednesday, September 4, 2019

जो मुखरित कर जाती थीं - jo mukharit kar jaatee theen - - महादेवी वर्मा -mahadevi Verma

जो मुखरित कर जाती थीं
मेरा नीरव आवाहन,
मैं नें दुर्बल प्राणों की
वह आज सुला दी कंपन!
थिरकन अपनी पुतली की
भारी पलकों में बाँधी
निस्पंद पड़ी हैं आँखें
बरसाने वाली आँधी!

जिसके निष्फल जीवन नें
जल जल कर देखी राहें
निर्वाण हुआ है देखो
वह दीप लुटा कर चाहें!
निर्घोष घटाओं में छिप
तड़पन चपला सी सोती
झंझा के उन्मादों में
घुलती जाती बेहोशी!

करुणामय को भाता है
तम के परदों में आना
हे नभ की दीपावलियों!
तुम पल भर को बुझ जाना!

- महादेवी वर्मा -mahadevi Verma

No comments:

Post a Comment

राजकीय सम्मान के साथ रतन टाटा का अंतिम संस्कार किया गया

   राजकीय सम्मान के साथ रतन टाटा का अंतिम संस्कार किया गया टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का गुरुवार 10 अक्टूबर को मुंबई के वर्ली श्म...