प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, August 18, 2019

इतने मत उन्‍मत्‍त बनो - itane mat un‍mat‍ta bano - हरिवंशराय बच्चन - harivansharaay bachchan

इतने मत उन्‍मत्‍त बनो!

जीवन मधुशाला से मधु पी

बनकर तन-मन-मतवाला,

गीत सुनाने लगा झुमकर

चुम-चुमकर मैं प्‍याला-

शीश हिलाकर दुनिया बोली,

पृथ्‍वी पर हो चुका बहुत यह,

इतने मत उन्‍मत्‍त बनो।


इतने मत संतप्‍त बनो।

जीवन मरघट पर अपने सब

आमानों की कर होली,

चला राह में रोदन करता

चिता-राख से भर झोली-

शीश हिलाकर दुनिया बोली,

पृथ्‍वी पर हो चुका बहुत यह,

इतने मत संतप्‍त बनो।


इतने मत उत्‍तप्‍त बनो।

मेरे प्रति अन्‍याय हुआ है

ज्ञात हुआ मुझको जिस क्षण,

करने लगा अग्नि-आनन हो

गुरू-गर्जन, गुरूतर गर्जन-

शीश हिलाकर दुनिया बोली,

पृथ्‍वी पर हो चुका बहुत यह,

इतने मत उत्‍तप्‍त बनो।

- हरिवंशराय बच्चन - harivansharaay bachchan

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...