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Monday, August 19, 2019

गीले बादल, पीले रजकण - geele baadal, peele rajakan - - हरिवंशराय बच्चन - harivansharaay bachchan

गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?

तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफान समझ पाओगे?

- हरिवंशराय बच्चन - harivansharaay bachchan

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