प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, July 13, 2019

तुम्हें आदमी के अस्तित्व की चिंता है न - tumhen aadamee ke astitv kee chinta hai na - Dr. Kumar "Vishavas" - डॉ० कुमार "विश्वास"


सार्त्र!
तुम्हें आदमी के
अस्तित्व की चिंता है न?
दुःखी मत हो दार्शनिक
मैं तुम्हें सुझाता हूँ
क्षणों को
पूरे आत्मबोध के साथ
जीते हुए
आदमज़ाद की
सही तस्वीर दिखाता हूँ-
भागती ट्रामों
दौड़ती कारों
और हाँफती ज़िन्दगी के किनारे
वहाँ दूर
नगर निगम के पार्क में –
प्राणवान अँगुलियों के सहारे
बेमतलब घास चुनते
अपने मौन से
अनन्त सर्गों का
संवेदनशील महाकाव्य बुनते
यदि दो युवा प्रेमियों को
तुम कभी देख पाओगे
तो उसी दिन से
ओ चिन्तक!
महायुद्धों की
विभीषिका को भूलकर
तुम सचमुच
आदमज़ाद के
समग्र अस्तित्व की
महत्ता पहचान जाओगे।

Dr. Kumar "Vishavas" - डॉ०  कुमार "विश्वास"  

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...