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Saturday, July 13, 2019

प्रीतो - prito- Dr. Kumar "Vishavas" - डॉ० कुमार "विश्वास"

तुम
समझ तो रही हो न, प्रीतो!
वे सब बातें
जो मैं
इस सूने कमरे की
दीवारों को
समझा रहा हूँ
आधी रात से
तुम
गुनगुना तो रही हो न, प्रीतो!
वे सब गीत
जो मैं
तिल-तिल कर
मरते हुए
रच रहा हूँ
तुम
देख तो रही हो न, प्रीतो!
वे सब पाप
जो मैं
तुम्हारी पवित्रता से
डरते हुए
कर रहा हूँ
ओ मेरी
एकमात्र श्रोता!
देखता हूँ
तुम कब तक नहीं रोतीं

Dr. Kumar "Vishavas" - डॉ०  कुमार "विश्वास"  

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