जो बन संवर के वो एक माहरू निकलता है
तो हर ज़बान से बस अल्लाह हू [2]निकलता है
हलाल रिज्क का मतलब किसान से पूछो
पसीना बन के बदन से लहू निकलता है
ज़मीन और मुक़द्दर की एक है फितरत
के जो भी बोया वो ही हुबहू निकलता है
ये चाँद रात ही दीदार का वसीला है
बरोजे ईद ही वो खूबरू निकलता है
तेरे बग़ैर गुलिस्ताँ को क्या हुआ आदिल
जो गुल निकलता है बे रंगों बू निकलता है
- आदिल रशीद- aadil rasheed
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