हवा खुद अब के हवा के खिलाफ है, जानी दिए जलाओ के मैदान साफ़ है, जानी हमे चमकती हुई सर्दियों का खौफ नहीं हमारे पास पुराना लिहाफ है, जानी वफ़ा का नाम यहाँ हो चूका बहुत बदनाम मैं बेवफा हूँ मुझे ऐतराफ है, जानी है अपने रिश्तों की बुनियाद जिन शरायत पर वहीँ से तेरा मेरा इख्तिलाफ है, जानी वो मेरी पीठ में खंज़र उतार सकता है के जंग में तो सभी कुछ मुआफ है, जानी मैं जाहिलों में भी लहजा बदल नहीं सकता मेरी असास यही शीन-काफ है, जानी
डॉ० राहत इन्दौरी
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