प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, July 13, 2019

धूप बहुत है मौसम जल-थल भेजो न - dhoop bahut hai mausam jal-thal bhejo na - Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ० राहत “इन्दौरी”

धूप बहुत है मौसम जल-थल भेजो न
बाबा मेरे नाम का बादल भेजो न

मोल्सरी की शाख़ों पर भी दिये जलें
शाख़ों का केसरया आँचल भेजो न

नन्ही मुन्नी सब चेहकारें कहाँ गईं
मोरों के पैरों की पायल भेजो न

बस्ती बस्ती दहशत किसने बो दी है
गलियों बाज़ारों की हलचल भेजो न

सारे मौसम एक उमस के आदी हैं
छाँव की ख़ुश्बू, धूप का संदल भेजो न

मैं बस्ती में आख़िर किस से बात करूँ
मेरे जैसा कोई पागल भेजो न

Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ०  राहत “इन्दौरी”   

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...